संदेश

जनवरी 20, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पानी पर पंगा...?(ये भी कोई बवाल करने की बात है?)

चित्र
मैं ड्राइमरूम में बैठा हूँ। कुछ लिखने की कोशिश कर रहा हूं, लेकिन अपने लेखन पर एकाग्रचित नहीं हो पा रहा हूँ। वजह है, बीस लीटर पानी की बोतल सप्लाई करने वाले अशोक मल्होत्रा और मेरे पड़ोसी के बीच हो रही बहस। पड़ोसी, पानी की बोतल की बढ़ी हुई कीमत देने को तैयार नहीं है और अशोक मल्होत्रा बार-बार यह समझाने की कोशिश कर रहा है कि इसमें उसकी क्या गलती है। यह कीमत न तो वो तय करता है न ही बढ़ी हुई रकम उसकी जेब में जाने वाली है। बीस लीटर पानी की बोलत की कीमत में एकदम से दस रुपए की बढ़ोतरी हो गई है। पड़ोसी का कहना था कि दस रुपए बढ़ने का मतलब हुआ, अब बोतल बीस लीटर की नहीं बल्कि इक्कीस लीटर की हो गई। पर पानी सिर्फ बीस लीटर है।  मैं इन दोनों की बातें सुन सुनकर पकने लगा था तभी ट्विटर के एक लिंक पर मेरी नज़र पड़ी। इस लिंक में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के 2018 के आंकड़ों का ज़िक्र किया गया था। पर इसमें सबसे चौंकाने वाले आंकड़े थे, पानी को लेकर हुई हत्याओं के। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक साल 2018 में कुल 29,017 हत्याएं हुईं। यानी हर दिन 80 लोगों की मौत। इनमें पानी को लेकर साल