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रॉकस्टार: गंद और जुनून की जाल में

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इम्तियाज अली की हाल की फिल्म रॉकस्टार प्यार की परिभाषा के नए एक सूत्र को पकड़ने की कोशिश है। प्यार ऐसा जो जुनून तक इंसान को ले जाए। प्यार ऐसा जो न टाइम देखे न स्पेस। बस करना है तो करना है। इम्तियाज ने फिल्म को शुरू से जैसा संभाला वो काबिले तारीफ है। अच्छा बिल्डअप किया। हिंदू कॉलेज और स्टीफेंस के बीच जो सोसायटी का अंतर दिखाया वो भी काफी हद तक सही दिखा। जिस तरह से स्टीफेंस की हाई सोसायटी एक लड़की एकदम से हिंदू के एक ऐसे लड़के के साथ गंद करने निकल पड़ती है जिसे अंग्रेजी भी बोलनी नहीं आती, ये थोड़ा अटपटा लगा। नर्गिस को देखते हुए लगा जैसे जब वी मेट की करीना के मस्ती और बिंदास किरदार को फिर से जीवित करने की कोशिश की जा रही है और रणबीर कपूर को देखकर बैंड बाजा बारात के रणबीर सिंह की याद बार-बार आती रही। खैर, फिल्म में मस्ती या फिर कह लें गंद ने दर्शकों को अपनी तरफ खूब खींचा। मजा आया। लेकिन जैसे ही नर्गिस की शादी होती है उसके बाद से हालात ऐसे बदलते हैं कि जैसे दोनों एक दूसरे को टूटकर प्यार करते रहे हैं और अब दोनों एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते। यहां तक आने से पहले न तो ऐसी भावनाएं प्रकट हुईं न