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जुलाई 12, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
बहुत कुछ #बचा है , इस ऊब #उकताहट के बीच बहुत सी #आत्मरति , बहुत से #शोकगीत मधुमक्खी के छत्ते सी फैली है #लाचारी #रेगिस्तानी भूख प्यास और दिमागी #बीमारी #मटमैली आँखें ,#खुरदुरी हथेली भीतरी #दरारें ,बाहरी #दीवारें बहुत से भद्दे #मज़ाक , भितरघात ... #बदहवास रातें , सडती #गंधाती आस #हाएना संततियों की #जंग लगी सोच इस मुर्दा #संस्कृति की देगी गवाही .... क्या अब भी आप कहेंगे // बहुत कुछ #बचा है इस ऊब उकताहट के बीच ... @सुधा उपाध्याय