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आईना दिखाओ, तोड़ो नहीं…पत्रकार, चाटुकार, लोलुपकार और अंत में हाहाकार

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हालात ऐसे हैं कि बिना दिल का आदमी, बेमौत मारा जाएगा। पर जिनके पास दिल है, उनको तो प्यार हो ही जाएगा। यह सच है, प्यार तो होना ही था। यकीन मानिए, प्यार से अच्छा कुछ नहीं होता। हालांकि हमारे पूर्वज कह गए हैं, प्यार निश्छल होता है। उसमें स्वार्थ की जगह नहीं होती। सच्चा प्यार हमेशा से बदले में चाहत की इच्छा नहीं रखता। यह कहना आसान है, खासकर आज की तारीख में। प्यार है तो प्यास है और प्यास है तो पानी के लिए प्रेमी हाथ पैर तो मारेगा ही।  पत्रकार को प्यार है अपने काम से। उनका काम है, सरकार के कामकाज की समीक्षा करना और जनता से उसको अवगत कराना। यानी पत्रकार हमेशा जनता के हक़ में, जनता के लिए काम करने के प्रतिबद्ध होता है। अगर सरकार जनता के काम में कमज़ोर पड़े तो सरकार को सही दिशा दिखाने का काम पत्रकार करते हैं। यही कारण है कि जनता हमारे देश के पत्रकारों को प्यार करती है। क्या, नहीं करते हैं? नहीं, नहीं। मैं आपकी बात को नहीं मानता। जनता पत्रकारों को प्यार नहीं करती तो फिर पत्रकार इतने बड़े सेलिब्रेटी कैसे बनते। हाँ, यह माना जा सकता है कि ऐसे सेलिब्रेटी पत्रकारों को जनता से ज्यादा राजन