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ब्लॉग मतलब भड़ास?

हिंदी में ब्लॉगगीरी करने वालों और पढ़ने वालों के लिए सबसे बड़ा सवाल- (1)क्या ब्लॉग महज भड़ास का एक जरिया है? (2)क्या ब्लॉग लेखन का पहला मकसद दूसरे को गलियाना ही है? (3)क्या ब्लॉग का इस्तेमाल अपनी कुंठा निकालने के लिए होना चाहिए? (4)या फिर ब्लॉग सर्जनात्मकता को एक नया आयाम देने का जरिया है? इन सारे सवालों के भाव संभवत: एक जैसे ही है। लेकिन इसका जवाब ढूंढना बहुत जरूरी है। जब से ब्लॉगगीरी में मैंने होश संभाला है तब से प्राय: हिंदी ब्लॉग की हालत और बदतर हुई है। ब्लॉग गाली-गलौच का पर्याय बन गया है। मैंने कई पाठकों को ये कहते सुना है कि किसी का ब्लॉग कोई क्यों देखे और पढ़े? पाठकों के मन में उठा सवाल जायज है। कईयों को ये भी कहते सुना है कि ब्लॉगगीरी तो खलिहरों का काम है--उनकी बात पर क्या ध्यान देना जो खलिहर हैं। एक तो ऐसे ही हिंदी पढ़ने और समझने वालों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। ऐसे में ब्लॉग एक सशक्त जरिया बनकर उभरा है। पर इसे भी हमने गलियाने का एक बेहतरीन जरिया बना लिया है। प्रतिस्पर्धा हर जगह होती है। हिंदी ब्लॉग में होनी भी चाहिए। लेकिन इसे सकारात्मक तरीके से लिया जाए। भाषा की गरिम