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शाबाश! बिंद्रा इज्जत रख ली

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ओलंपियन अभिनव बिंद्रा तुमने लाज रख ली यार। वरना सुपर पॉवर बनने की होड़ में जुटा देश और ओलंपिक में निल बट्टे सन्नाटा। अच्छा किया तमाम संस्थानों ने लाखों और करोड़ों रुपए देकर अपना पल्ला झाड़ा। पर शर्मनाक ये है कि जो लोग कुछ भी नहीं लेकर आए उनका क्या किया जाएगा। जवाब एक ही है। अगली बार के लिए तैयारी करेंगे। पर कमी कहां रह गई, खिलाड़ियों की तरफ से या सरकार की तरफ से---न तो इसका विश्लेषण होगा और ही कोई कार्रवाई। चार साल बाद फिर से जब टीम जाने लगेगी तो खिलाड़ियों को भेजने पर राजनीति होने लगेगी। यकीन मानें तो अपने सिस्टम में ही खराबी है। अभिनव बिंद्रा गोल्ड इसलिए जीत पाया क्योंकि उसके पिता के बहुत पैसा है। उसके पिता ने अपने बेटे की ट्रेनिंग पर अबतक 10 करोड़ से ज्यादा खर्च कर दिया है। क्या झारखंड ने निकला हुआ खिलाड़ी उड़ीसा का कोई चमकता सितारा इसकी हिम्मत जुटा पाएगा। शायद नहीं। अभ्यास अपनी जगह है। पर अब ज़माना प्रोफेशनल अभ्यास का है। बिंद्रा ने कमांडो ट्रेनिंग जर्मनी में जाकर की। आम खिलाड़ी कहां से कर पाएगा। इसमें दोष किसका है? अभिनव के पापा का जिन्होंने अपने पैसे पर बेटे को ट्रेनिंग दिलाई या