बहुत कुछ #बचा है ,
इस ऊब #उकताहट के बीच
बहुत सी #आत्मरति ,
बहुत से #शोकगीत
मधुमक्खी के छत्ते सी
फैली है #लाचारी
#रेगिस्तानी भूख प्यास
और दिमागी #बीमारी
#मटमैली आँखें ,#खुरदुरी हथेली
भीतरी #दरारें ,बाहरी #दीवारें
बहुत से भद्दे #मज़ाक ,
भितरघात ...
#बदहवास रातें ,
सडती #गंधाती आस
#हाएना संततियों की #जंग लगी सोच
इस मुर्दा #संस्कृति की देगी गवाही ....
क्या अब भी आप कहेंगे //
बहुत कुछ #बचा है
इस ऊब उकताहट के बीच ...

@सुधा उपाध्याय

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