काट पर 'कट' - AAREY 2



तुम कहाँ हो ग्रेटा थनबर्ग? हां, आपने सही समझा। मैं स्वीडन की उसी 16 साल की पर्यावरण एक्टिविस्ट के बारे में पूछ रहा हूं। ग्रेटा थनबर्ग, कहीं तुम जंगलों में तो नहीं घूम रही हो मल्टीकैम शूटिंग के लिए? डिस्कवरी की कोई फिल्म तो नहीं बना रही हो? पर, तुम्हारे लिए डिस्कवरी फिल्म क्यों बनाएगा भला। तुम जहाँ भी हो, जैसी भी हो, तुम्हें मेरी बात सुननी पड़ेगी। मुझे तुमसे शिकायत है। ‘How Dare You’ तुमने कह तो दिया, अब खामियाजा हम भुगत रहे हैं। तुम्हें नहीं मालूम था कि नेता चाहे विकसित देश के हों या फिर विकासशील देश के, उनका चरित्र एक ही होता है। सौम्य, शालीन और सेवापरक। नेता कैमरे पर भले ही गुस्सा कर जाएं, किसी को कुत्ते का पिल्ला कह जाएं, भला बुरा बोलने लगें पर आम ज़िंदगी में वैसा इंसान कोई दूसरा नहीं हो सकता। तुमने यूएन में नेताओं से क्यों कह दिया था कि “हम आप पर नज़र रखेंगे।” तुम तो बोलकर निकल लिए, यहाँ झेलना पड़ गया मुंबईकर को। सात समंदर पार से तुम किसी पर क्या नज़र रखोगी। 
यहाँ हमारे देश में जो लोग किसी पर नज़र रखते हैं, उनको नज़रबंद कर जेल में डाल दिया जाता है। हमारे देश में जोश में लड़के होश खो देते हैं। न आगा देखते हैं न पीछा। कूद पड़ते हैं चलते बुलडोज़र के सामने। ऐसा नहीं कि उन लोगों में तुमसे कम समझ है। ऐसा भी नहीं कि उनके अहाते के पेड़ काटे जा रहे हैं। पर नादान बालकों को कौन समझाए कि उन्हें यूएन में नहीं बुलाया जाएगा। माँ-बाप जेवर गिरवी रखकर उन्हें जेल से जमानत दिलवाएंगे। बदमाश। जल जंगल जमीन की बात करता है। अर्बन नक्सली कहीं के। चुप। सरकार भी देखती है तुम कबतक प्रदर्शन करते हो। कबतक तुम्हारे दिल में पेड़ धड़कता है। बता दे रहे हैं, काट दिए जाओगे। 

काट समझते हैं न आप? वही वाला जो नेता शालीनता से बार-बार अमल में लाते हैं। इसका काट वो, उसका काट वो, वही वाला काट। काट से याद आया, मुबारक हो! मुंबई में आरे जंगल के पेड़ों के काटे जाने को लेकर प्रदर्शन कर रहे 29 प्रदर्शनकारियों को सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत रिहा करने को कहा है। लीजिए, पुलिस की कार्रवाई पर कोर्ट का काट। सरकार भी हैरान होगी और गुस्से में पुलिस के भी नथुने फूले हुए होंगे। पर इस काट पर एक कट मार दिया है कोर्ट ने। स्कायर कट। वही क्रिकेट वाला। हालांकि काट की तरह ही कट भी कई होते हैं। फिल्म शूटिंग के दौरान एक शॉट के बाद डायरेक्टर द्वारा बोला गया शब्द, कट। रक्षा सौदे में की गई दलाली का पर्याय भी है कट। किसी काम को कराने और उसमें लिए जाने वाले कमीशन का पर्याय भी कट ही है। इस देश में सजग लोगों के बीच बिजनेस में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है कट। पर कई बार कट का एक संभ्रांत रूप देखने को मिलता है, कॉम्प्रोमाइज़ के रूप में। संभ्रांत कट। आप मुझे कट मत दीजिए, मेरा ये काम करा दीजिए। न आरटीआई का झंझट न एक्टिविस्ट का कोई रोना-गाना। देखिए, कितने शरीफ लोग हैं। न खाते हैं न खाने की इच्छा रखते हैं। बस काम हो जाना चाहिए। ज़िंदगी में और क्या चाहिए। खैर, मैं बता रहा था कि कोर्ट ने सभी प्रदर्शनकारियों को तुरंत रिहा करने को कहा है। पर कोर्ट ने साथ में यह भी कहा है कि “ये सभी 29 प्रदर्शनकारी अब किसी प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लेंगे।” लो मार दिया कट। आप कट और काट में उलझे रहिए। इसलिए समझना चाहिए, जितना आसान सब दिखता है, उतना होता नहीं है। आप कहेंगे, सरकारी वकील ने कहा तो है कि हम हज़ारों की संख्या में पेड़ लगा भी रहे हैं। भई, जब पेड़ लगाना ही था तो फिर गिराया क्यों? गिरे हुए, दम तोड़ चुके पेड़ों की तुलना छोटे-छोटे पौधे से कैसे की जा सकती है? उनको बड़ा होने में काफी वक्त लगेगा। पेड़ों को भी तो तज़ुर्बा होता है। गर्मी, बरसात, सर्दी में खुद को बचाए रखने का। पता नहीं, इन पौधों में से कितना पेड़ बन पाए। संभवत: इसी सोच के तहत लोग अब पहले से ज्यादा अपने बुजुर्ग माँ-बाप को वृद्धाश्रम में रखने लगे हैं। जब लोगों को अपने बुजुर्ग मां-बाप से लगाव नहीं है तो पेड़ों से क्या होगा? ऐसे लोगों को लगता है पर्यावरण के लिए रोना, महज ग्लैमरस प्रदर्शन में शामिल होने से ज्यादा कुछ नहीं है। सुंदर-सुंदर लोग, अच्छे-अच्छे कपड़े पहनकर मार्च में हिस्सा लेते हैं। टीवी पर उनको देखना, बड़ा सुखदायी होता है। 
जहाँ सुख है वहीं तो न्यू इंडिया का नया साहित्य है। इसलिए कहता हूं, साहित्य पढ़ा कीजिए। सब समझ में आएगा। साहित्य अंटा पड़ा है कट और काट के कारनामे से। वैसे साहित्य का कोई सुप्रीम कोर्ट तो नहीं होता है पर दरबार परंपरा का निर्वाह किया जाता है। जो जहाँपनाह को पसंद वो सर्वोत्तम और जो पसंद नहीं वो अधम। आप दरबारी नहीं तो आपकी कौड़ी दो हो जाती है। पता नहीं जो दरबारी हैं उनके पास कितनी कौड़ी है।    
ग्रेटा थनबर्ग, तुम इन लोगों की कौड़ियों पर ध्यान मत दो। मुझे बस ये बताओ कि तुम कहाँ थीं, जब आरे में हज़ारों पेड़ों की हत्या हो रही थी? तुम कहाँ थीं, जब संभ्रांत नेता, अनगिनत लोगों की संभावित हत्याओं पर चुप रहे? कहाँ थीं तुम जब कोर्ट, काट और कट की महिमा से आह्लादित हो रहा था? हम तुम्हें हल्के में बचकर भागने नहीं देंगे। तुम भाग नहीं सकती।  ग्रेटा थनबर्ग, तुम भाग नहीं सकती। तुम्हें आना ही होगा। तुम्हें आना ही होगा। मेरी आवाज़ तेज़ होती गई और तभी मेरी बीवी ने झकझोर कर मुझे उठाया। उठते ही बीवी ने ज़ोरदार आवाज़ में सवाल का थप्पड़ मारा—ये ग्रेटा थनबर्ग कौन है और तुमने उसके साथ क्या गलत किया है, जो वो तुमसे भाग रही है? मेरे चुप रहने पर उसने खुद से ही कहा—अच्छा, समझ गई। अब किसी फिरंग को फांस रखा है। ठीक इसी समय मेरी बेटी दूसरे कमरे से भागकर आई और मुझसे पूछा—पापा, क्या यह सच है कि किंग ऑफ पॉप माइकल जैक्सन ने ऑक्सीजन गैस का चैंबर बनवाया था, जिसमें सौ परसेंट ऑक्सीजन गैस हमेशा रहती थी? मैंने बेटी को डाँटते हुए कहा, यहाँ सामान्य शरीर को ज़रूरी 21 फीसदी ऑक्सीजन के लाले पड़े हैं और तुम माइकल जैक्सन की बात करने आई हो। तभी बीवी ने चिल्लाते हुए कहा—ग्रेटा थनबर्ग कौन है? अबतक मैं पूरी तरह जाग चुका था। मेरे मुंह से निकला—ऑक्सीजन को बचाने के लिए लड़ाई लड़ने वाला दुनिया का हर शख्स ग्रेटा थनबर्ग है और हर ग्रेटा थनबर्ग दुनियाभर के नेताओं का काट है। बीवी झल्लाकर वहां से चली गई। बीवी को जाते देख मैंने कहा— ग्रेटा थनबर्ग या तुम्हारे जैसे तमाम लड़ाके, हमेशा काट ही रहना, संभ्रांत कट मत हो जाना

    
तस्वीर सौजन्य-एनडीटीवी डॉट कॉम, Fortune.com 



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