वक्त तेजी से फिसल रहा है और हालात जस के तस बने हैं. ज़िंदगी की छोर पकड़ो तो वक्त उघार हो जाता है. और जब वक्त की तरफ से ज़िंदगी की चादर को पकड़ो तो हालात अपनी जगह से हिलने का नाम नहीं ले रहे हैं. इस कशमकश में ज़िंदगी का कोई न कोई कोना बदरंग होता जा रहा है.  

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