राजेश जोशी और आज के कवि


बच्‍चे काम पर जा रहे हैं
हमारे समय की सबसे भयानक पंक्ति है यह
भयानक है इसे विवरण के तरह लिखा जाना
लिखा जाना चाहिए इसे सवाल की तरह

काम पर क्‍यों जा रहे हैं बच्‍चे?

क्‍या अंतरिक्ष में गिर गई हैं सारी गेंदें
क्‍या दीमकों ने खा लिया हैं
सारी रंग बिरंगी किताबों को
क्‍या काले पहाड़ के नीचे दब गए हैं सारे खिलौने
क्‍या किसी भूकंप में ढह गई हैं
सारे मदरसों की इमारतें
क्‍या सारे मैदान, सारे बगीचे और घरों के आँगन
खत्‍म हो गए हैं एकाएक
तो फिर बचा ही क्‍या है इस दुनिया में?

कितना भयानक होता अगर ऐसा होता
भयानक है लेकिन इससे भी ज्‍यादा यह
कि हैं सारी चीज़ें हस्‍बमामूल

कवि राजेश जोशी की यह कविता और लंबी है। लेकिन इन पंक्तियों में विकासशील देश की असलियत है। भले ही डेवलप्मेंट सिस्टम के लिए माहिर माने जाने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अफनी पीठ थपथपाए। सोनिया गांधी विकास के सारे आंकड़े दुनिया के सामने रखें। लेकिन राजेश जोशी की ये पंक्तियां अकाट्य है।

कुछ दिन पहले कवि राजेश जोशी को साक्षात सुनने का मौका मिला। जोशी जी ने तमाम कविताएं सुनाईं। कविता के जरिए अपने अनुभव सुनाए। मैं हिल गया। सच को इतनी आसानी से इतने गहरे अर्थों में कहना बहुत कठिन है। राजेश जोशी की कविताओं को सुनते हुए बार-बार रघुवीर सहाय की कविताएं याद आ रही थीं। रघुवीर सहाय की कविताएं बड़ी आसानी से अंदर तक घाव करती चली जाती है और ऊफ! करने का मौका तक नहीं देती। कुछ ऐसा ही लगा राजेश जोशी को सुनकर।

पुरस्कार और भांडपन के लिए तमाम कवि कविताएं लिख रहे हैं। आए दिन उनके संग्रह भी प्रकाशित हो रहे हैं। पर उनकी कविता का उद्देश्य निहायत ही निजी है। मंच पर ज़ोर-ज़ोर से फूहड़ तरीके से दुनिया को संबोधित करने में ऐसे कवि पीछे नहीं रहते। लंबी कतार लगी है। पर उनमें एक भी ऐसा नहीं होता जिनको सुनकर समाज पर तरस आए। चोट कहीं ऐसी जगह जाकर लगे जिसके दर्द से आदमी बेचैन हो उठे।

कहते हैं क्रांच पक्षी को तीर मारने वाला बहेलिया। तीर की चोट खाने वाला क्रांच पक्षी। पर दर्द से बाल्मीकि बेचैन हो उठे। यही वजह है कि बाल्मीकि महान कवियों में शुमार हैं। कविताओं में ऐसी तड़प वही कवि महसूस कर सकता है जिसने दुख का अनुभव किया है। एसी कमरों में बैठकर किसानों पर कविताएं हर कोई लिख सकता है। पर उसमें जान तो वही डाल सकता है जिसने किसानों के दर्द को करीब से महसूस किया है।

अर्से बाद एक ऐसे कवि का कविता पाठ सुनने को मिला जिसने पुराने दर्द उभार दिए।

टिप्पणियाँ

अनूप शुक्ल ने कहा…
राजेश जोशी के बारे में अच्छी जानकारी दी।
Udan Tashtari ने कहा…
आभार राजेश जोशी जी से परिचय करने का.
Unknown ने कहा…
राजेश जोशी जी अच्छा लिखते हैं. उनकी रचनाओं में पाश जैसी धार है.

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