बिंदास का इमोशन अत्याचार



इंटरटेनमेंट टीवी बिंदास वाकई बिंदास है। उस पर इन दिनों एक खास शो बड़ा पॉपलर है। इमोशनल अत्याचार। शब्द भले ही अनुराग कश्यप की फिल्म देव डी के गाने से लिया गया हो पर इसमें दिखाई जाने वाली कहानी बिलकुल अलग कलेवर की है। अगर आपको अपनी प्रेमिका या अपने प्रेमी पर शक है तो बिंदास टीवी के पास आपका इलाक है...वो अपने अंडर एजेंट जो पेशेवर तौर पर प्यार का नाटक कर आपकी गर्ल फ्रेंड के पास जाएंगे उसे रिझाने की कोशिश करेंगे अगर आपकी गर्लफ्रेंड उसकी शक्ल सूरत और बिंदास की तरफ से मुहैया कराई गई गाड़ी पर रिझ गईं तो फिर समझिए आप कम से कम अपनी इस गर्ळ फ्रेंड के साथ आगे की जिंदगी की प्लानिंग नहीं कर सकते। नाटकीय तरीके से तीन चार स्पाई कैम से शूट कर वो सारी चीजें दिखा जाते हैं जिसे देखने के लिए अकसर आदमी टीवी देखता है। कम कपड़े, चूमते चाटते सीन और फिर गंदी बातें। और शो के आखिर में एक सीन जरूर ऐसा आता है कि अजीब इत्तेफाक से अचानक दूसरे के प्यार में पागल हो गए प्रेमी या प्रेमिका उसी बिल्डिंग में होते हैं जहां स्टूडियो होता है और जहां पर बिठाकर एक शख्स को उसके दोस्त की असलियत का पर्दाफाश किया जाता है।
बिंदास टीवी ने पैसे खर्च कर, म्यूजिक इफेक्ट और वीडियो इफेक्ट के साथ रोचक बनाने की कोशिश करता है। एंकर गलत और तथ्यहीन आंकड़े लगातार पेश करता है पर मेरा एक सवाल है----लेकिन क्या टीवी शोज़ का ये चरम है? क्या हमें मान लेना चाहिए कि बस अब ब्लू फिल्म दिखाया जाना बाकी रह गया है। सूचना प्रसारण मंत्रालय जहां मीडिया की नकेल कसने के लिए इतने सारे सर्कुलर लगातार भेजता है क्या उसे बिंदास का ये शो नजर नहीं आता। सूचना प्रसारण को कलर्स के सीरियल में बच्चों की एक्टिंग पर एतराज है लेकिन सरेआम सेक्स परोसने और भद्दे औऱ भौंडे तरीके से कहानी बनाकर पेश करना नजर नहीं आता। क्या टीवी को स्वस्थ बनाने की मुहिम जारी है या फिर बच्चों को कम उम्र में सयाना बनाने की।
इन सबसे से बड़ा सवाल ये है कि अगर इनमें से कोई भी लड़का या लड़की सुसाइड करता है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी। बिंदास की, समाज की या फिर सूचना प्रसारण मंत्रालय की। जानकारी ऐसी भी मिली है कि ये पूरा शो योजनाबद्ध तरीके से किया जाता है। सिर्फ दर्शकों को गरमा गरम मसाला पेश करने के लिए ऐसे प्रेमी प्रेमिका को लिया जाता है जो इस तरह अफने संबंध को दिखा सकें और बदले में पैसे ले सकें। अगर ऐसा है तो फिर टीवी शो किस तरह का मैसेज देने की कोशिश कर रहा है। पुरुष और महिलाओं में शक की मात्रा ज्यादा करने की कोशिश या फिर जो घर तबाह हो रहा है उसे और बर्बाद करने की कोशिश। वाकई समाज का ये कौन सा रुप है जो बिंदास टीवी पर बड़े बिंदास अंदाज में कर रहे हैं इमोशन अत्याचार।

टिप्पणियाँ

abhajain2k ने कहा…
There's no end to what one wishes to express and the poetry will never cease to flow out or fail to move as long as the poet can find words to move....
Afterall, the emotions throughout the history of man kind have been the same yet, its the expressions that finds different hues and shades overcoming all barriers...
It is however a matter of concern, how the language is suffering in the name of technology and we are becoming victims of slang use and hence, the purity of expression in terms of language skills suffers!
Hopefully, this temporary phase also fades away and people shall come back to enjoy the true glory of pure linguitics and free flowing poetry....

Dr. Abha Jain
Rajiv Aggarwal ने कहा…
all you write is very true.
rishte me ab khus khas bacha nahe he.log sirf business talash karte he.
chalo is tareke se he hamare bachhe dunia ko saazh jayenge

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