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इस्तेमाल की भाषा

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यूज एंड थ्रो की इस दुनिया में मैं बिकाऊ बनकर नहीं रह सकती। आप भले कह लें कि जब से आपने मुझे बाजार में उतारा है, मेरी कीमत बढ़ गई है। लोग मुझे इस्तेमाल करने लगे हैं। मेरे सहारे जाने क्या-क्या खरीद बेच लेते हैं। कब तक इस शर्मनाक दौर से गुजरती रहूंगी। फूहड़ से फूहड़ मनोरंजन मेरा उद्देश्य नहीं हो सकता। मैं जीविकोपार्जन के हद से गुजर रही हूं, लोग कहते हैं हम संघर्ष करते हैं। संघर्ष तो मैं कर रही हूं। किसी भी समाज की भाषा सिनेमा, टीवी या विज्ञापनों से मजबूत नहीं होती। भाषा की जड़ें मजबूत होंती हैं- राजनीति,प्रशासन,न्यायालय, व्यवसाय, सामाजिक संवाद आदि में व्यापक पैमाने पर प्रयोग से। साहित्य और पत्रकारिकता के ठेकेदारों ने मेरी ऐसी की तैसी कर दी है। न जनता मुझमें प्रवेश करती है न मैं जनता में। जब सारे महत्वपूर्ण निर्णय मेरी सौतन की झोली में जाते हैं ऐसे में गंभीर चिंतन सोच-समझ और विवेक का ठेका सैंया ने सौतन को दे रखा हो तो मैं तो केवल इस्तेमाल की वस्तु बनकर रह गई। कब से कह रही हूं कोई भी समाज इस विदेशी सौतन के सहारे उन्नति कैसे कर सकता है। मैं अपने ही घर में निर्वासित प्रवासिनी बनकर सम्मान पा र

कथाकार, हंस के कार्यकारी संपादक और राजेंद्र यादव

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हंस के संपादक श्री राजेंद्र यादव की बौद्धिकता, उनके भाषण, उनका आचार व्यवहार, उनका आक्षेप लगाने का तरीका--और वगैरह-वगैरह न जाने कितने रूप की दुनिया कायल है। माफी चाहता हूं दुनिया नहीं हिंदी साहित्य का एक मठ। एक ऐसा मठ जो उन्हें कहानीकार के तौर पर उत्कंठ स्वर में स्वीकार करने से लगातार हिचकिचाता है। जाहिर तौर पर पत्नी मन्नू भंडारी के सामने कहानीकार के तौर पर उनकी कोई हैसियत भी नहीं है। मेरे इस विचार को बदलने के लिए कोई चाहे कितने बड़े प्रलोभन दे दे मैं अपनी जगह से हिल नहीं सकता। दरअसल अपने ब्लॉग पर ये लेख मैं श्री राजेंद्र यादव जी के लिए नहीं बल्कि उनकी पत्रिका के कार्यकारी संपादक संजीव के लिए लिखना चाह रहा हूं। 'पाखी'का सितंबर अंक में कथाकार संजीव पर आधारित था। बहुत बढ़िया प्रयास था अपूर्व जोशी जी का। संजीव के लेखन से आम लोगों को परिचित कराने की सफल कोशिश। लेकिन जब आप पत्रिका के पेज 170 पर पहुंचेंगे तब आप अजीबोगरीब पसोपेश में डूब जाएंगे। उस पेज पर शीर्षक है--'सावधान! यह लेखक का जीवन है'इस लेख में जैसे-जैसे आप उतरते जाएंगे एक अजीब सा दर्द आपको अपने अंदर महसूस होगा। ये दर्

आखिर क्या चाहती है भारत सरकार

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दिलों को जोड़ने वाला खेल और भारत में जुनून और धर्म का दर्जा रखने वाला क्रिकेट एक बार फिर राजनीति और कूटनीति की भेंट चढ़ चुका है। मुंबई पर आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के संबंध फिर से नाजुक दौर में पहुंच गए। और दोनों देशों के संबंधों के उतार-चढ़ाव से यहां का क्रिकेट भी नहीं बच पाया। भारत-पाक के तनावपूर्ण रिश्ते के असर से टी20 चैंपियंस लीग भी नहीं बच पाया है। अब जो खबर आ रही है वो बेहद चौंकाने वाली है। भारत में 8 अक्टूबर से होने वाले चैंपियंस लीग के मैचों की कमेंट्री वसीम अकरम नहीं कर पाएंगे। खबरों के मुताबिक पाकिस्तानी के पूर्व तेज गेंदबाज और कमेंटेटर वसीम अकरम को कमेंट्री करने से रोक दिया गया है। पाकिस्तान के अखबार जंग के दावे को सही मानें तो भारत सरकार ने अकरम को इसकी इजाजत देने से इनकार कर दिया है। अकरम इस फैसले से भौंचक हैं। अकरम से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा--मुझे इस फैसले की जानकारी मिली है। मुझे नहीं पता कि इस फैसले के पीछे भारत सरकार है या नहीं। मुझे पता करने दीजिए कि असलियत क्या है। अकरम इस वक्त दक्षिण अफ्रीका में हैं। वहां वो चैंपियंस ट्रॉफी के मैचों की कमे

वाह! रे तेरी माया

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कैसा वक्त आ गया है। मां-बाप के लाखों रुपए खर्च करके MBA की पढ़ाई की। मां-बाप ने सपना देखा, बेटा/बेटी किसी बड़ी कंपनी में एमबीए बनेंगे। अच्छी सैलरी होगी। बच्चे की ज़िंदगी संवर जाएगी। लेकिन वक्त का तकाज़ा देखिए। बच्चे लाइन में खड़े हैं। वो भी मायावती द्वारा बनाए गए अंबेडकर, काशीराम मेमोरियल और बौद्ध उपवन के लिये। जी हां, मैनेजमेंट पास लोगों की भर्ती इन पार्कों के रख रखाब के लिए की जा रही है। जब इस पोस्ट के लिए आवेदन का इश्तेहार निकला। युवाओं ने जमकर हिस्सा लिया। युवाओं की भीड़ देखकर में अंदाजा हो चला कि समय कितना खराब आ गया है। मायावती ने अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल, काशीराम स्मारक और बौद्ध विहार शांति उपवन की देखरेख के लिये एक सोसाइटी बनाने का फैसला किया है। ये सोसाइटी उन लोगों से टिकट के जरिये पैसा इकट्ठा करेगी जो मेमोरियल्स देखने आयेंगे। सोसाइटी के फंड से ही मैनेजरों, असिस्टेंट मैनेजरों और बाकी कर्मचारियों की तनख्वाह दी जायेगी। सरकार ने मैनेजर और असिस्टेंट मैनेजरों के लिये जहां एमबीए पास लोगों को इंटरव्यू के लिये बुलाया है तो वहीं बौद्ध विहार उपवन के लिये होटल मैनेजमेंट कर चुके लोगो