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अगस्त 7, 2008 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

तीन देवियां

एक नहीं, दो नहीं, तीन देवियां एक साथ तीन-तीन देवियां। तीनों का भार एक साथ एक शो में उठाने की हिम्मत बड़े बड़ों ने नहीं की। लेकिन शाज़ी साहब में वो ताक़त है, जिन्होंने बेखौफ अंदाज में तीनों के साथ बखूबी निभाया है। जिन तीन देवियों का जिक्र बार-बार किया जा रहा है वो भविष्य की तीन देवियां हैं। इनका जिम्मा है दुनियाभर के लोगों का भविष्य बताना। आज आपका दिन कैसा रहेगा? कितनी सफलता मिलेगी? मनचाहा काम कर पाएंगे या नहीं? बॉस से कितनी खटपट रहेगी? बीवी से तनाव रहेगा या नहीं? बगैरह-बगैरह। शो अच्छा है। पहले स्टार न्यूज़ का सबसे ज्यादा टीआरपी देने वाला शो था। हो भी क्यों नहीं एक साथ तीन-तीन देवियां जो हैं। एक से आपका मन भर जाए तो दूसरे को देखिए। अगर दूसरे से भी मन भर जाए तो तीसरे को देखिए। बहुत खूब जोड़ी बनाई है। क्या तिगड़ी है। लेकिन लगता है शाज़ी साहब के इस शो की टीआरपी गिरी है। देवियां वही हैं। शैली भी वही है। अंदाज भी वही है। सबकुछ वही है। संभव है पब्लिक इसलिए अब बोर होने लगी है। या तो पब्लिक को अपना भविष्य जानने में दिलचस्पी नहीं। या फिर उन देवियों में कोई दम नहीं रहा। कुछ तो बात है। वरना अचानक