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जनवरी 23, 2008 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

'रैकेट' की महिमा

'रैकेट'। आज की तारीख में सबसे प्रचलित शब्द। अगर रैकेट है तो जीवन सार्थक। और अगर रैकेट नहीं है तो सब बेकार। ऐसा नहीं कि ये शब्द महज महानगरों के लिए उपयोगी है। इसका विस्तार तो हर क्षेत्र और हर स्तर पर हुआ है। रैकेट का पर्याय है बढ़िया मैनेजर। जानकारों का मानना है कि बिना रैकेट के न तो कोई अच्छा मैनेजर हो सकता है और न ही वो किसी बेहतर काम को अंजाम दे सकता है। आप अगर नज़र दौड़ाएंगे तो आपको हर तरफ ऐसे लोग आसानी से मिल जाएंगे। कुछ धुरंधर रैकेटियर और कुछ उस प्रक्रिया में अग्रसर। देशकाल और समय दोनों में रैकेट की इतनी ज़रूरत है कि अगर आपने इस दिशा में काबिलियत हासिल नहीं कि तो आप अनफिट हैं। जी हां, आप नकारे और महज दो कौड़ी के करार दिए जाएंगे। ये और बात है कि जिनके पास रैकेट है वो भी दो कौड़ी के ही होते हैं। न कम न ज्यादा। अनफिट का सीधा मतलब है आपका चालाक न होना। तिकड़मी राजनीति में बुद्धू। समय को देख परख कर काम न करने वाला। संभव है आप एकदम सही हों पर उसका क्या मतलब। वो किसी के काम नहीं आएगा। मैनेजर तो वो है जो खुद का ज्यादा और दूसरों का कम ध्यान रखे। खुद की लकीर बड़ी करने की कोशिश करे।

काश! ये साल न आता

12 जनवरी से आगे ------------------ निरंजन को समझ नहीं आया कि क्या हो गया। वो धड़ाम से सड़क के उपर उछला और धम्म से गिरा। कुछ देर पहले तक बीवी,बच्चे और बुढ़ी मां के लिए सपने बुनने वाले निरंजन की आंखों के सामने स्याह और लंबी आकृति नाचने लगी। और फिर उसकी आंखों ने हमेशा के लिए सपने देखना बंद कर दिया। घर का चिराग सड़क पर चली तेज आंधी में बुझ गया और देखते ही देखते खो गया। लड़खड़ाती गाड़ी से एक सज्जन निकले। उन्होंने गालियों की बौछार कर दी। लेकिन उन पढ़े लिखे सज्जन की हालत ऐसी थी कि वो ठीक से खड़ा बी नहीं हो पा रहे थे। नए साल का जश्न मनाकर किसी होटल से लौट रहे थे। उन्हें पता था कि गलती उनकी है पर वो इस बात को मानते कैसे। महानगर के कल्चर है अपनी गलतियों पर पर्दा डालना और दूसरों पर थू-थू करना। अगर आदत नहीं है तो लोग इसे अर्जित कर लेते हैं। तभी कहीं से पीसीआर वैन आ गई। पुलिस ने निरंजन को जैसे तैसे उठाया और पास के अस्पताल में भर्ती कराया। लेकिन निरंजन की किस्मत में नया साल देखना नहीं लिखा था। पुलिस ने उन अंग्रेजी दां सज्जन को गिरफ्तार किया। लेकिन तमाम बड़े लोगों की पैरवी और सिफारिश के आगे पुलिस नतम