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अक्तूबर 1, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

वाह! रे तेरी माया

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कैसा वक्त आ गया है। मां-बाप के लाखों रुपए खर्च करके MBA की पढ़ाई की। मां-बाप ने सपना देखा, बेटा/बेटी किसी बड़ी कंपनी में एमबीए बनेंगे। अच्छी सैलरी होगी। बच्चे की ज़िंदगी संवर जाएगी। लेकिन वक्त का तकाज़ा देखिए। बच्चे लाइन में खड़े हैं। वो भी मायावती द्वारा बनाए गए अंबेडकर, काशीराम मेमोरियल और बौद्ध उपवन के लिये। जी हां, मैनेजमेंट पास लोगों की भर्ती इन पार्कों के रख रखाब के लिए की जा रही है। जब इस पोस्ट के लिए आवेदन का इश्तेहार निकला। युवाओं ने जमकर हिस्सा लिया। युवाओं की भीड़ देखकर में अंदाजा हो चला कि समय कितना खराब आ गया है। मायावती ने अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल, काशीराम स्मारक और बौद्ध विहार शांति उपवन की देखरेख के लिये एक सोसाइटी बनाने का फैसला किया है। ये सोसाइटी उन लोगों से टिकट के जरिये पैसा इकट्ठा करेगी जो मेमोरियल्स देखने आयेंगे। सोसाइटी के फंड से ही मैनेजरों, असिस्टेंट मैनेजरों और बाकी कर्मचारियों की तनख्वाह दी जायेगी। सरकार ने मैनेजर और असिस्टेंट मैनेजरों के लिये जहां एमबीए पास लोगों को इंटरव्यू के लिये बुलाया है तो वहीं बौद्ध विहार उपवन के लिये होटल मैनेजमेंट कर चुके लोगो