तीन देवियां

एक नहीं,
दो नहीं,
तीन देवियां
एक साथ तीन-तीन देवियां। तीनों का भार एक साथ एक शो में उठाने की हिम्मत बड़े बड़ों ने नहीं की। लेकिन शाज़ी साहब में वो ताक़त है, जिन्होंने बेखौफ अंदाज में तीनों के साथ बखूबी निभाया है। जिन तीन देवियों का जिक्र बार-बार किया जा रहा है वो भविष्य की तीन देवियां हैं। इनका जिम्मा है दुनियाभर के लोगों का भविष्य बताना। आज आपका दिन कैसा रहेगा? कितनी सफलता मिलेगी? मनचाहा काम कर पाएंगे या नहीं? बॉस से कितनी खटपट रहेगी? बीवी से तनाव रहेगा या नहीं? बगैरह-बगैरह। शो अच्छा है। पहले स्टार न्यूज़ का सबसे ज्यादा टीआरपी देने वाला शो था। हो भी क्यों नहीं एक साथ तीन-तीन देवियां जो हैं। एक से आपका मन भर जाए तो दूसरे को देखिए। अगर दूसरे से भी मन भर जाए तो तीसरे को देखिए। बहुत खूब जोड़ी बनाई है। क्या तिगड़ी है।

लेकिन लगता है शाज़ी साहब के इस शो की टीआरपी गिरी है। देवियां वही हैं। शैली भी वही है। अंदाज भी वही है। सबकुछ वही है। संभव है पब्लिक इसलिए अब बोर होने लगी है। या तो पब्लिक को अपना भविष्य जानने में दिलचस्पी नहीं। या फिर उन देवियों में कोई दम नहीं रहा। कुछ तो बात है। वरना अचानक ऐसा कैसे हो गया कि तीनों देवियों के कपड़े में अचानक कमी आ गई है। शो अब भी भविष्य का ही है। पर कपड़े में कमी करने की वजह समझ में नहीं आई? क्या पब्लिक उनकी सुंदरता निहारने आती है? क्या शो बनाने वालों को इस बात का अंदाजा है कि उनका पहला मकसद है तीनों देवियों को दिखाना।

स्कर्ट में भविष्य पढ़ने वाली देवियों को भला कौन नहीं देखना चाहेगा। पर मेरा सवाल ये है कि कुछ दिन बाद जब पब्लिक का मन इस रुप से भी भर जाएगा तो क्या कपड़े और छोटे हो जाएंगे? मुझे इंतजार रहेगा उस दिन का जब शो की टीआरपी बहुत गिर जाएगी। और शाज़ी साहब सरीखे लोग अपनी भविष्यवक्ताओं के कपड़े इतने छोटे कर देंगे कि लोगों के लिए ये शो बिलकुल नया अर्थ देगा।

अगर टीआरपी पाने का यही तरीका है तो हर न्यूज चैनल को नुस्खा लेना चाहिए और अपने एंकर के कपड़े में लगातार कमी करनी चाहिए। फिर देखिए कमाल। मैं उम्मीद करता हूं वो दिन जल्दी आए। कसम से मज़ा आ जाएगा।

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